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लेखनी कहानी -10-Jan-2023 मुहावरों पर आधारित कहानियां

5. खून के आंसू 

यह कहानी सन 712 ईस्वी की है जो सिंध पर हुए अरब आक्रमण के बारे में है और जो खून के आंसू रोना मुहावरे पर आधारित है । 

"ये गुलाब का फूल कितना सुंदर है ना, दी" ? चहकती हुई परिमल बोली ।
"हां, बहुत सुंदर है परि, पर तुझसे ज्यादा सुंदर नहीं" । मुस्कुराते हुए सूर्य देवी बोली "तेरे सामने तो चंपा, गुलाब, मोगरा कुछ भी नहीं है । तू तो कुदरत का सबसे सुंदर फूल है" । सिंध राज्य की बड़ी राजकुमारी सूर्य देवी अपनी छोटी बहन परिमाल देवी को छेड़ते हुए बोली ।
"ओह दी, आप मुझे छेड़ने का कोई भी मौका नहीं चूकती हो ना । आप जैसी सुंदर युवती पूरे सिंध देश तो क्या , पूरे भारत में भी नहीं है । मैं तो आपके पैरों की धूल भी नहीं हूं दी" । परिमाल देवी सूर्य देवी के गले में अपनी नन्ही बांहों का हार डालकर झूलते हुए बोली । 

राजप्रासाद के उद्यान में दोनों बहनें हास परिहास का आनंद ले रही थीं । वे दोनों अपने आप में इतनी मुग्ध थीं कि वे अपने आसपास के खतरे से भी अनभिज्ञ थीं । एक काला नाग चुपके चुपके तेजी से उनकी ओर बढ रहा था और उन्हें इसका कोई भान ही नहीं था । अचानक दासी बेला की नजर उस काले नाग पर पड़ी और उसने दोनों राजकुमारियों को धक्का देकर दूर गिरा दिया और वह खुद सांप के आगे आ गई । सांप उसके इस कृत्य से और भी अधिक कुपित हो गया । उसका सुंदर शिकार उस दासी ने दूर जो कर दिया था इसलिए उसने बेला की टांग पर जोरदार आक्रमण करते हुए उसे डस लिया । बेला वहीं पर पछाड़ खाकर गिर पड़ी । 

पूरे महल में अफरा तफरी मच गई । तुरंत वैद्य जी को बुलाया गया और बड़ी मशक्कत के बाद बेला को बचाया जा सका । बेला की स्वामीभक्ति के चर्चे पूरे सिंध देश में मशहूर हो गये । राजा दाहिर सेन ने बेला को उसकी बहादुरी, बुद्धिमानी और स्वामीभक्ति पर बहुत सारे कीमती उपहार दिये । 

उन दिनों भारत सोने की चिड़िया कहलाता था और वह हर तरह से समृद्ध और खुशहाल था । इस्लाम धर्म विश्व में अभी नया नया था और अरब लोग भारत में इस्लाम का विस्तार करने, धन धान्य लूटने और भारत के सौन्दर्य को भोगने को बहुत आतुर थे । भारत में घुसने के लिए सिंध एक द्वार का कार्य करता था । सिंध राज्य को विजित करने के पश्चात ही भारत में प्रवेश हो सकता था । अरब लोगों ने कई बार सिंध पर आक्रमण किये लेकिन राजा दाहिर सेन ने अपने पराक्रम और बुद्धि से समस्त आक्रमण विफल कर दिये थे । इससे सिंध वासियों में अभिमान हो गया था कि वे अपराजेय हैं । अभिमान मनुष्य को लापरवाह बना देता है जिसका परिणाम बहुत भयानक होता है । सिंध के साथ भी ऐसा ही हुआ । 

अरब पर खलीफा वालीद का शासन था । उसके कई सेनापतियों ने सिंध में मुंह की खाई थी इसलिए वह सिंध के राजा दाहिर से बहुत क्रोधित था । उसने एक 17 वर्षीय खूंखार युवक जिसका मुल्ला मौलवियों ने ब्रेन वाश कर दिया था , विशाल सेना के साथ सिंध पर आक्रमण करने हेतु भेजा । मुहम्मद बिन कासिम एक आततायी, क्रूर और बर्बर व्यक्ति था । वह पराजित व्यक्तियों की न केवल बर्बर हत्या करता था अपितु उनके शवों के साथ क्रूरता भी करता था । पराजित लोगों से इस्लाम कबूल करने को कहता था और जो लोग इस्लाम कबूल नहीं करते थे उन्हें सता सता कर मार डाला जाता था । स्त्रियों और युवतियों को "लौंडी" बना लिया जाता था और उनसे "सेक्स स्लेव" के रूप में काम लिया जाता था । जो युवती मना करती थी उसे नग्न कर पूरे शहर में घुमाया जाता था और फिर उसके दोनों स्तन काट दिये जाते थे । इस बर्बरता के कारण अरबों का विरोध करने की हिम्मत सिंध के लोगों में खत्म होती जा रही थी । 

मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण कर दिया । राजा दाहिर सेन और उसके पुत्र जय सेन ने मुहम्मद बिन कासिम का वीरता पूर्वक सामना किया । कुछ सिपहसालारों द्वारा विश्वासघात करने और कुछ भाग्य के खेल के कारण दाहिर सेन पराजित हो गया और युद्ध भूमि  में अपने पुत्र के साथ मारा गया । उसके पश्चात उसकी रानी ने मुहम्मद बिन कासिम से युद्ध जारी रखा लेकिन वह भी पराजित हो गई । तब रानी ने अपनी दोनों पुत्रियों को अरबों की बर्बरता से बचाने के लिए उन्हें अपनी विश्वस्त दासी बेला को सौंप दिया । 

सूर्य देवी और परिमाल देवी बेला के टूटे फूटे घर में छिप कर रहने लगी । सूर्य देवी तब 16 वर्ष की सुंदरी थी जो एक पूर्ण खिलते हुए गुलाब की मानिंद आकर्षक थी । उसका सौन्दर्य ऐसा था कि उसके समक्ष चांद भी फीका पड़ जाता था । छोटी बहन परिमाल देवी अभी 14 वर्ष की थी और वह युवा अवस्था के अद्भुत बगीचे में प्रवेश कर रही थी । उसके नेत्र धीरे धीरे विशाल और नशीले हो रहे थे । घने काले केश कमर से नीचे तक लहराते थे और शरीर थोड़ा थोड़ा भरने लगा था । दोनों बहनें कुदरत की कलाकारी का बेजोड़ नमूना थी । 

मुहम्मद बिन कासिम को पता चल गया था कि दोनों राजकुमारियां अद्वितीय सुंदरी हैं जिन्हें कहीं छिपा दिया गया है । तब मुहम्मद बिन कासिम ने उन दोनों सुंदरियों को पकड़वाने के लिये 10000 दीनार का ईनाम घोषित कर दिया था । उन दिनों 10000 दीनारों का मूल्य आज के खरबों रुपए से अधिक होता था । बेला के मन में लालच आ गया और उसने दोनों राजकुमारियों का सुराग बता दिया । इस विश्वासघात से दोनों राजकुमारियां स्तब्ध रह गईं । अपने पिता, भाई और मां की मृत्यु के कारण वे दोनों पहले ही दुखी थीं लेकिन बेला के विश्वासघात ने उन दोनों को खून के आंसू रुला दिया था । मगर अब क्या हो सकता है जब चिड़िया चुग गई खेत ! अब तो अपनी इज्जत बचाने की चिंता मुंह बाए खड़ी थी । 

मुहम्मद बिन कासिम दोनों राजकुमारियों की सुंदरता देखकर आश्चर्य चकित रह गया । वह पहले तो उन्हें अपनी "गुलाम" बनाना चाहता था मगर उसने सोचा कि यदि इन दो कुदरत के "नायाब नमूनों" को खलीफा की सेवा में पेश किया जाये तो खलीफा बहुत खुश होगा । यह सोचकर उसने दोनों राजकुमारियों के अरबी वस्त्र सिलवाये और उन्हें शहजादी बनाकर खलीफा के पास भेज दिया । 

खलीफा के दरबार में उन दोनों को पेश किया गया और उन दोनों के जब नकाब हटाये गये तो खलीफा की आंखें फटी की फटी रह गईं । दोनों राजकुमारियां बला की खूबसूरत थीं । सूर्य देवी एक पूर्ण विकसित पुष्प की तरह खिली हुई नजर आ रही थी जबकि परिमाल देवी अभी अधखिली कली ही लग रही थी । सूर्य देवी को अपनी दासियों को देते हुए खलीफा ने आदेश दे दिया कि वे इसे आज "रात" के लिये तैयार करें और छोटी बहन पर पूरी नजर रखें । दासियां दोनों राजकुमारियों को लेकर "हरम" में चली गईं । 

सूर्य देवी जितनी सुंदर थी उतनी ही बुद्धिमान भी थी । मुहम्मद बिन कासिम ने उनका घर, परिवार और देश सब कुछ छिन्न भिन्न कर दिया था इसलिए उसके मन में प्रतिशोध की भावना ने आधिपत्य कर लिया था और वह इसके लिए युक्ति सोचने लगी । 

रात को जब सूर्य देवी को खलीफा के समक्ष पेश किया गया तब वह बोली "गुस्ताखी माफ करें हुजूर । ये नाचीज हुजूर की खिदमत के योग्य नहीं है । अब ये नाचीज एक बासी फूल भर है । इसकी ताजगी मुहम्मद बिन कासिम ने रौंद दी है। यदि हुजूर आदेश दें तो नाचीज उनकी खिदमत के लिए तैयार है" । 

इस बात से खलीफा बहुत क्रोधित हुआ और उसने आदेश दे दिया कि मुहम्मद बिन कासिम को जिंदा पकड़कर उसे एक सांड की खाल में लपेट कर उसके समक्ष पेश किया जाये । खलीफा के आदेश की पालना की गई और मुहम्मद बिन कासिम को पकड़कर एक सांड को मारकर उसकी खाल में उसे जिंदा भरकर सीं दिया और खलीफा के महल में भेज दिया । दम घुट जाने के कारण मुहम्मद बिन कासिम की रास्ते में ही मृत्यु हो गई । मुहम्मद बिन कासिम की लाश देखकर सूर्य देवी और परिमाल देवी को बहुत खुशी हुई और खुशी के अतिरेक में सूर्य देवी सारा सच बोल गई इससे उसके षड्यंत्र का भांडा फूट  गया । इससे खलीफा बेहद खफा हो गया और उसने दोनों को मृत्युदंड की सजा सुना दी । यह मृत्युदंड बहुत विकराल था । दोनों बहनों को घोड़े की पूंछ से बांध दिया गया और घोड़े को संपूर्ण शहर में घुमाया गया । जमीन से रगड़ रगड़ कर दोनों बहनों की मृत्यु हो गई पर दोनों बहनें अपना नाम इतिहास के सुनहरे पृष्ठों पर लिखवा गईं । 

श्री हरि 
13.1.2023 

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4 Comments

Sant kumar sarthi

21-Jan-2023 03:46 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jan-2023 08:12 PM

धन्यवाद जी

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Gunjan Kamal

20-Jan-2023 04:36 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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Hari Shanker Goyal "Hari"

22-Jan-2023 08:11 PM

धन्यवाद मैम

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